Vaibhav Suryavanshi Biography- 14 साल में IPL डेब्यू, पहली ही गेंद पर छक्का, कौन हैं वैभव सूर्यवंशी,जिन्होंने पहले ही मैच में ‘गदर’ काट दिया
IPL 2025- वैभव सूर्यवंशी (Vaibhav Suryavanshi) ने आईपीएल 2025 (IPL 2025) में इतिहास रच दिया। उन्होंने राजस्थान रॉयल्स (Rajasthan Royals) के लिए लखनऊ सुपर जायंट्स (Lucknow Super Giants) के खिलाफ जयपुर के सवाई मानसिंह स्टेडियम (Sawai Mansingh Stadium) में उतरकर अपने नाम बड़ी उपलब्धि दर्ज कर ली। 14 साल 23 दिन की उम्र में आईपीएल में खेलने वाले वैभव सबसे युवा खिलाड़ी (youngest player) बन गए। उन्होंने पहले ही मैच में बल्ले से धमाल मचा दिया। वैभव ने जो पहली गेंद खेली, उसपर उन्होंने छक्का (six) जड़कर दुनिया को बता दिया कि आने वाले समय के वह सुपर स्टार (superstar) हैं। छोटी उम्र में वैभव जिस तरह से गेंद को सीमा पार भेज रहे थे, उसे देखकर कभी भी ऐसा नहीं लगा कि वह पहली बार आईपीएल में खेल रहे हैं। वैभव को राजस्थान रॉयल्स के नियमित कप्तान संजू सैमसन (Sanju Samson) की जगह पर उतारा गया, जो चोट (injury) की वजह से इस मुकाबले में नहीं उतरे।
14 साल में IPL डेब्यू, पहली गेंद पर छक्का

आईपीएल 2025 में वैभव का डेब्यू लखनऊ सुपर जायंट्स के खिलाफ हुआ। यह मैच 19 अप्रैल 2025 को जयपुर में खेला गया। राजस्थान रॉयल्स के नियमित कप्तान संजू सैमसन चोट की वजह से नहीं खेल पाए, और वैभव को इंपैक्ट सब के तौर पर मैदान में उतारा गया। वैभव ने अपनी पहली गेंद पर ही शार्दुल ठाकुर को छक्का जड़कर सबको हैरान कर दिया। यह छक्का इतना शानदार था कि स्टेडियम में बैठे दर्शक और टीवी पर देख रहे फैंस तालियां बजाने लगे।
वैभव ने यशस्वी जायसवाल के साथ मिलकर पहले विकेट के लिए 85 रन की साझेदारी की। उन्होंने 20 गेंदों में 34 रन बनाए, जिसमें 3 छक्के और 2 चौके शामिल थे। उनकी पारी तब खत्म हुई जब एडेन मार्करम की गेंद पर ऋषभ पंत ने शानदार स्टंपिंग की। पंत की यह स्टंपिंग इतनी तेज थी कि वैभव क्रीज से थोड़ा बाहर निकल गए और वापस लौटने का मौका नहीं मिला।
वैभव की इस पारी ने क्रिकेट जगत में हलचल मचा दी। सोशल मीडिया पर उनकी तारीफों के पुल बांधे गए। राहुल द्रविड़, जो राजस्थान रॉयल्स के हेड कोच हैं, ने वैभव की तारीफ करते हुए कहा कि वह एक शानदार प्रतिभा हैं, लेकिन उन्हें अभी आईपीएल के दबाव को समझने के लिए समय चाहिए। वैभव की इस पारी ने यह साबित कर दिया कि वह बड़े मंच पर भी बेखौफ खेल सकते हैं।
छोटे गांव से बड़ा सपना

वैभव सूर्यवंशी का जन्म 27 मार्च 2011 को बिहार के समस्तीपुर जिले के ताजपुर गांव में हुआ था। यह वही समय था जब भारत ने 28 साल बाद वनडे वर्ल्ड कप जीता था, और शायद यह एक संकेत था कि वैभव भी क्रिकेट की दुनिया में कुछ बड़ा करेंगे। ताजपुर एक छोटा-सा गांव है, जहां लोग खेती-बाड़ी और साधारण जीवन जीते हैं। वैभव का परिवार भी ऐसा ही था—साधारण लेकिन सपनों से भरा हुआ। उनके पिता संजीव सूर्यवंशी एक किसान हैं, जिन्होंने खुद क्रिकेट खेलने का सपना देखा था, लेकिन हालात ने उन्हें मौका नहीं दिया। संजीव ने अपने इस अधूरे सपने को बेटे के जरिए पूरा करने की ठानी।
वैभव का बचपन गांव की गलियों में क्रिकेट खेलते हुए बीता। चार साल की उम्र में ही उन्होंने बल्ला थाम लिया था। उस समय वह टेनिस बॉल से क्रिकेट खेला करते थे, लेकिन उनकी बल्लेबाजी में कुछ खास था। गांव के बड़े-बुजुर्ग बताते हैं कि वैभव जब बल्ला चलाते थे, तो गेंद इतनी जोर से जाती थी कि आसपास के बच्चे हैरान रह जाते थे। उनकी मां और दादी चाहती थीं कि वैभव पढ़-लिखकर कोई बड़ा अफसर बने, लेकिन पिता संजीव ने बेटे की प्रतिभा को पहचान लिया था। उन्होंने फैसला किया कि वह वैभव को क्रिकेटर बनाएंगे, चाहे इसके लिए कितना भी संघर्ष करना पड़े।
वैभव की शुरुआती जिंदगी आसान नहीं थी। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। खेती ही उनकी आजीविका का मुख्य साधन थी, और क्रिकेट जैसे खेल में पैसा लगाना आसान नहीं था। क्रिकेट किट, कोचिंग, और टूर्नामेंट में हिस्सा लेने के लिए यात्रा—ये सब खर्चे संजीव के लिए चुनौती थे। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। वैभव ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनके पिता ने उनकी ट्रेनिंग के लिए खेत की जमीन तक बेच दी थी। यह त्याग सिर्फ एक पिता का अपने बेटे के लिए प्यार और विश्वास था।
टेनिस बॉल से रणजी ट्रॉफी तक

वैभव ने क्रिकेट की शुरुआत पांच साल की उम्र में टेनिस बॉल से की थी। उनके पिता संजीव खुद उनके पहले कोच बने। संजीव ने वैभव को नेट्स में घंटों प्रैक्टिस कराई। सुबह-सुबह गांव के मैदान में पिता और बेटे की जोड़ी क्रिकेट खेलती नजर आती थी। संजीव ने वैभव को बल्लेबाजी की बारीकियां सिखाईं, जैसे कि गेंद को कैसे देखना है, कैसे टाइमिंग करनी है, और कैसे बड़े शॉट्स मारने हैं। वैभव की प्रतिभा जल्दी ही सामने आने लगी।
आठ साल की उम्र में वैभव ने जिला स्तर के अंडर-16 ट्रायल्स में हिस्सा लिया। इतनी छोटी उम्र में बड़े बच्चों के साथ खेलना आसान नहीं था, लेकिन वैभव ने अपनी बल्लेबाजी से सबको हैरान कर दिया। उनकी बल्लेबाजी में एक अलग ही आत्मविश्वास था। इसके बाद संजीव ने वैभव को समस्तीपुर से पटना की जेनिथ क्रिकेट अकादमी में दाखिल कराया। रोज 15 किलोमीटर का सफर करके संजीव अपने बेटे को अकादमी ले जाते और वापस लाते। यह उनके लिए सिर्फ एक जिम्मेदारी नहीं थी, बल्कि एक मिशन था।
वैभव की मेहनत और पिता का साथ रंग लाया। 12 साल की उम्र में वैभव ने बिहार के लिए रणजी ट्रॉफी में डेब्यू किया। यह अपने आप में एक रिकॉर्ड था, क्योंकि इतनी कम उम्र में फर्स्ट-क्लास क्रिकेट खेलना कोई मामूली बात नहीं है। जनवरी 2024 में मुंबई के खिलाफ रणजी ट्रॉफी में वैभव ने अपना पहला मैच खेला। हालांकि, इस मैच में वह ज्यादा रन नहीं बना पाए, लेकिन उनकी तकनीक और आत्मविश्वास ने कोच और सिलेक्टर्स का ध्यान खींचा।
वैभव ने बिहार के लिए पांच फर्स्ट-क्लास मैच खेले, जिसमें उन्होंने 100 रन बनाए। उनका सर्वोच्च स्कोर 41 रन रहा। इसके अलावा, उन्होंने सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में भी बिहार का प्रतिनिधित्व किया। राजस्थान के खिलाफ अपने एकमात्र टी20 मैच में उन्होंने 13 रन बनाए। वैभव की असली पहचान तब बनी जब उन्होंने अंडर-19 क्रिकेट में धमाल मचाया।
अंडर-19 में रिकॉर्ड्स की झड़ी

वैभव सूर्यवंशी का असली टैलेंट तब सामने आया जब उन्हें भारतीय अंडर-19 टीम में चुना गया। 2024 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चेन्नई में हुए एक अनऑफिशियल टेस्ट मैच में वैभव ने सिर्फ 58 गेंदों में शतक जड़ दिया। यह भारतीय अंडर-19 क्रिकेट इतिहास का सबसे तेज शतक था। वैभव ने 62 गेंदों में 104 रन बनाए, जिसमें 14 चौके और 4 छक्के शामिल थे। इस पारी ने उन्हें रातोंरात सुर्खियों में ला दिया। वह 13 साल की उम्र में इंटरनेशनल सेंचुरी बनाने वाले सबसे कम उम्र के बल्लेबाज बने।
इसके बाद वैभव ने अंडर-19 एशिया कप 2024 में भी शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने टूर्नामेंट में 5 मैचों में 176 रन बनाए, जिसमें उनका सर्वोच्च स्कोर 76* रहा। उनकी स्ट्राइक रेट 145.45 थी, जो उनकी विस्फोटक बल्लेबाजी का सबूत थी। वैभव की इन पारियों ने क्रिकेट पंडितों और फैंस का ध्यान खींचा। लोग उन्हें अगला सचिन तेंदुलकर या यशस्वी जायसवाल कहने लगे।
वैभव की बल्लेबाजी का स्टाइल उनके पसंदीदा बल्लेबाज ब्रायन लारा से प्रेरित है। वह लारा की तरह बड़े शॉट्स खेलना पसंद करते हैं और गेंद को हवा में उड़ाने में माहिर हैं। उनकी तकनीक और टाइमिंग इतनी शानदार है कि बड़े-बड़े गेंदबाज भी उनके सामने मुश्किल में पड़ जाते हैं। विजय हजारे ट्रॉफी 2024 में वैभव ने बड़ौदा के खिलाफ 42 गेंदों में 71 रन की तूफानी पारी खेली। यह पारी लिस्ट-ए क्रिकेट में अर्धशतक बनाने वाले सबसे कम उम्र के भारतीय बल्लेबाज के रूप में दर्ज हुई।
IPL में एंट्री, 13 साल में करोड़पति

वैभव सूर्यवंशी की प्रतिभा को देखते हुए उनका नाम आईपीएल 2025 के मेगा ऑक्शन में शॉर्टलिस्ट हुआ। यह अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि थी, क्योंकि 13 साल की उम्र में इतने बड़े मंच पर पहुंचना कोई छोटी बात नहीं है। ऑक्शन में वैभव का बेस प्राइस 30 लाख रुपये था, लेकिन उनकी बोली ने सबको हैरान कर दिया। दिल्ली कैपिटल्स और राजस्थान रॉयल्स के बीच वैभव के लिए जबरदस्त जंग हुई। आखिरकार, राजस्थान रॉयल्स ने 1.10 करोड़ रुपये में वैभव को अपनी टीम में शामिल कर लिया।
यह बोली वैभव को आईपीएल इतिहास का सबसे कम उम्र का करोड़पति बना गई। ऑक्शन के बाद वैभव के गांव में जश्न का माहौल था। उनके पिता संजीव ने कहा, “वैभव अब सिर्फ मेरा बेटा नहीं, पूरे बिहार का बेटा है।” वैभव की इस उपलब्धि ने बिहार क्रिकेट को भी नई पहचान दी। बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश तिवारी ने वैभव की तारीफ करते हुए कहा कि उनकी सफलता राज्य के युवा क्रिकेटरों के लिए प्रेरणा है।
वैभव की उम्र को लेकर कुछ विवाद भी हुए। कुछ लोगों ने उन पर उम्र में गड़बड़ी का आरोप लगाया, लेकिन उनके पिता ने इन आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि वैभव ने 8.5 साल की उम्र में बीसीसीआई का बोन टेस्ट पास किया था। वह फिर से आयु परीक्षण के लिए तैयार हैं। वैभव की प्रतिभा और मेहनत ने इन विवादों को पीछे छोड़ दिया।
वैभव का परिवार: सपनों का सहारा
वैभव का परिवार उनकी सफलता की सबसे बड़ी ताकत रहा है। उनके पिता संजीव सूर्यवंशी ने न सिर्फ उनके कोच की भूमिका निभाई, बल्कि आर्थिक तंगी के बावजूद उनके सपनों को हकीकत में बदलने के लिए हर संभव कोशिश की। संजीव ने अपनी खेती की जमीन बेचकर वैभव की ट्रेनिंग और क्रिकेट किट का खर्च उठाया। वह रोज वैभव को पटना ले जाते और नेट्स में प्रैक्टिस कराते।
वैभव की मां और दादी शुरुआत में चाहती थीं कि वह पढ़ाई पर ध्यान दे, लेकिन जब उन्होंने वैभव की क्रिकेट में रुचि और प्रतिभा देखी, तो वे भी उनका हौसला बढ़ाने लगीं। वैभव के छोटे भाई-बहन भी उनके सबसे बड़े फैन हैं। जब वैभव का नाम आईपीएल ऑक्शन में आया, तो उनके गांव मोतीपुर में जश्न का माहौल था। पड़ोसी, रिश्तेदार, और गांव के लोग उनके घर बधाई देने पहुंचे।
संजीव ने एक इंटरव्यू में कहा, “मैंने अपने बेटे में वह सपना देखा जो मैं पूरा नहीं कर पाया। आज वह बिहार का नाम रोशन कर रहा है।” वैभव भी अपने पिता को अपनी प्रेरणा मानते हैं। वह कहते हैं, “मेरे पापा ने मेरे लिए सब कुछ छोड़ दिया। मैं उनके लिए कुछ बड़ा करना चाहता हूं।”
वैभव की लाइफस्टाइल और नेटवर्थ
वैभव की उम्र भले ही कम हो, लेकिन उनकी उपलब्धियां उनकी उम्र से कहीं बड़ी हैं। आईपीएल कॉन्ट्रैक्ट के 1.10 करोड़ रुपये के अलावा, वैभव को अंडर-19 टीम और बिहार की रणजी टीम से भी कमाई होती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनकी कुल नेटवर्थ करीब 2.5 करोड़ रुपये है। हालांकि, वैभव को इस रकम का कुछ हिस्सा टैक्स के रूप में देना पड़ता है। फिर भी, इतनी कम उम्र में इतनी बड़ी कमाई उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि है।
वैभव की लाइफस्टाइल अभी भी साधारण है। वह अपने गांव के पुराने घर में ही रहते हैं। उनके पास अभी कोई कार नहीं है, और वह अपने परिवार के साथ सादगी भरा जीवन जीते हैं। वैभव का ज्यादातर समय क्रिकेट प्रैक्टिस और पढ़ाई में बीतता है। वह अपनी पढ़ाई को भी गंभीरता से लेते हैं, क्योंकि उनके पिता चाहते हैं कि वह क्रिकेट के साथ-साथ शिक्षा में भी अच्छा करें।
आगे की प्लानिंग: सुपर स्टार बनने का सपना

वैभव सूर्यवंशी का सफर अभी शुरू ही हुआ है। आईपीएल डेब्यू के बाद उनकी नजर अब भारतीय सीनियर टीम में जगह बनाने पर है। वह अपने पसंदीदा बल्लेबाज ब्रायन लारा की तरह बड़े-बड़े रिकॉर्ड बनाना चाहते हैं। वैभव का अगला लक्ष्य अंडर-19 वर्ल्ड कप में भारत के लिए शानदार प्रदर्शन करना है। वह चाहते हैं कि उनकी बल्लेबाजी से भारत इस टूर्नामेंट को जीते।
राजस्थान रॉयल्स के कोच राहुल द्रविड़ और बल्लेबाजी कोच विक्रम राठौर वैभव की प्रतिभा से बहुत प्रभावित हैं। द्रविड़ ने कहा है कि वैभव को अभी सीखने और अनुभव हासिल करने की जरूरत है, लेकिन उनमें एक बड़ा खिलाड़ी बनने की पूरी क्षमता है। वैभव भी द्रविड़ के मार्गदर्शन में अपनी बल्लेबाजी को और निखारना चाहते हैं।
वैभव का सपना है कि वह एक दिन भारतीय टीम की नीली जर्सी पहनकर देश का नाम रोशन करें। वह कहते हैं, “मैं अपने गांव, बिहार, और देश के लिए कुछ बड़ा करना चाहता हूं। मेरे पापा का सपना था कि मैं क्रिकेटर बनूं, और अब मेरा सपना है कि मैं उनके लिए और देश के लिए गर्व का पल लाऊं।”
एक उभरता सितारा

वैभव सूर्यवंशी की कहानी किसी प्रेरणादायक फिल्म से कम नहीं है। एक छोटे से गांव से निकलकर, आर्थिक तंगी और चुनौतियों को पार करते हुए, वैभव ने 14 साल की उम्र में वह कर दिखाया जो कई लोग सपने में भी नहीं सोच सकते। उनकी मेहनत, उनके पिता का त्याग, और उनके परिवार का साथ उन्हें इस मुकाम तक लाया है।
IPL डेब्यू में पहली गेंद पर छक्का मारकर वैभव ने बता दिया कि वह सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं, बल्कि आने वाले समय का सुपर स्टार हैं। उनकी कहानी हर उस युवा के लिए प्रेरणा है जो सपने देखता है और उन्हें पूरा करने के लिए मेहनत करता है। वैभव सूर्यवंशी का नाम अभी से क्रिकेट की दुनिया में गूंज रहा है, और यह तो बस शुरुआत है। आने वाले सालों में वह और बड़े रिकॉर्ड बनाएंगे, और बिहार के इस छोटे से गांव का नाम पूरी दुनिया में चमकेगा।
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